मंगलवार, 22 जून 2010

दादा की छत्रछाया में

उम्मे अयमन आप को लेकर मक्का आईं तथा आप को आप के दादा को सौंप दिया इस घटना से आप के दादा को काफ़ी पीड़ा तथा रंज हुआ इसी कारण आप के दादा आप पर अती मेहरबान रहा करते इतना किसी पर मेहरबान नहीं रहते,  आप से खूब प्रेम करते तथा अपने बेटों पर तरजीह देते , आप का खूब ख्याल रखते , अपने खास बिस्तर पर बिठाते जिस पर किसी दूसरे को बैठने की हिम्मत नहीं होती , आप के पीठ को छूते तथा आप के खेल कूद तथा कार्यों से परसन्न्  होते , वो मानते थे कि  उनका पोता  भविष्य में महानतम व्यक्ति होगा , तथा इसकी   बड़ी शान होगी दो वर्ष के बाद जब आप कि आयु आठ वर्ष दो महीने तथा दस दिन की हो गयी तो उनका निधन हो गया , मरने से पहले उन्होंने आप को आपके चाचा अबू तालिब को सौंप दिया

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