जब आप का जन्म हुआ तो आप की माता ने आप के जन्म की खुशख़बरी आप के दादा अब्दुल मुत्तलिब के पास भेजी , आप के दादा आप के पास आए और गोद में ले कर खाना काबा में गये तथा अल्लाह का धन्यवाद किया और आप के लिए प्रार्थना की तथा सातवें दिन आप का अक़ीक़ा किया, क़बीला क़ुरैश का भोज किया और आप का ख़तना किया एवम् आप का नाम मुहम्मद रखा जिसका मतलब होता है : जिस की खूब तारीफ़ की जाए और संसार में उस का नाम बुलंद हो. तथा आप की माता ने आप का नाम अहमद रखा , जिसका मतलब होता है : ईश्वर् की सब से ज़्यादा तारीफ करने वाला जिस की तरह अल्लाह की तारीफ और कोई न कर सके. जब अब्दुल मुत्तलिब ने आप के अक़ीक़े का भोज किया तो क़बीले के लोगों ने उन से प्रश्न किया कि आप ने अपने इस पोते का नाम क्या रखा है ? तो उन्होंने कहा : ( मुहम्मद) , तो क़बीले वालों को इस नाम पर आश्चर्य हुआ क्योंकि यह एक अनोखा तथा नया नाम था जो कभी सुनने में नहीं आया था . उनलोगों नें उन से पूछा कि आख़िर बाप दादा कि रीति रवाज से हट कर आपने अपने पोते का नाम क्यों रखा बाप दादाओं के नाम पर क्यों नहीं रखा ? अब्दुल मुत्तलिब ने उत्तर दिया कि : मैने इसका नाम मुहम्मद इसलिए रखा ताकि अल्लाह आसमान में इसकी तारीफ करे और ज़मीन पर बसने वाले ज़मीन पर इसकी तारीफ करें .
Salam Alaikum.
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Abdul Ahad Mujtaba