बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

रिश्तेदारों में इस्लाम का प्रचार

 आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम  तीन वर्षों तक व्यक्ति गत तरीके से लोगों में इसलाम का प्रचार करते रहे जब आप को इस में सफलता मिली  तथा  कुरैश  आदि  के   कुछ अच्छे एवं  भले मानुष इस्लाम ले आये और इस्लाम के प्रचार के लिए रास्ता तैयार हो गया तो  अल्लाह  तआला  ने आप को अपने करीबी लोगों एवं समुदाए को इस्लाम की तरफ आमंत्रित  करने  का हुक्म दिया अतः आप अपने खानदान वालों बनू हाशिम  एवं बनू मुत्तलिब  को  इकट्ठा  किया तथा अल्लाह की प्रसंशा एवं उसकी  एकताई की  गवाही  देने के बाद फरमाया :  नेतृत्व  करने वाला कभी भी अपने घर वालों से झूट नहीं बोलता , अल्लाह की सौगंध  अगर  मैं  समस्त मनुष्य से झूट बोलता फिर भी तुम लोगों से झूट नहीं बोलता ,और अगर मैं  सारे लोगों को धोका दे भी देता फिर भी मैं तुम लोगों को धोका नहीं  देता उस अल्लाह की  सौगंध जिस के अलावा किसी के लिए पूजा का अधिकार नहीं! मैं  तुम्हारी  तरफ खास  तौर  से एवं समस्त लोगों की तरफ अल्लाह का भेजा हुआ दूत हूँ  अल्लाह की सौगंध ! जिस  तरह  तुम सोते हो उसी उसी तरह मरने वाले हो और जिस तरह  सो कर उठते हो उसी तरह  मरने  के उपरांत जीवित  किए जाओगे तथा तुम्हारे कर्मों  का हिसाब किताब होगा  एवं तुम्हे  अच्छे कर्मों का अच्छा  तथा बुरे कर्मों का बुरा बदला  दिया जाएगा और वोह बदला होगा  हमेशा  के लिए स्वर्ग या हमेशा के लिए नरक!
आप की यह बातें सुन कर आप के चचा अबू लहब के अलावा सारे लोगों ने नर्म तथा  अच्छी  बातें कहीं , उसने कहा कि इस से पहले कि समस्त अरब समुदाय इसके विरुद्ध हो जाए इसे रोकना चाहिए क्योंकि अगर उस समय तुम लोग इसे उनके सुपुर्द करोगे तो तुम्हारा अपमान होगा या तुम्हे उन से युद्ध करना पड़ेगा !  इस पर आप के चाचा अबू तालिब ने कहा : जब तक हम जीवित रहेंगे इस को उन के हवाले नहीं कर सकते , फिर उन्होंने आप से कहा कि आप अपना काम जारी रखें हम हमेशा आप की हिफाज़त करते रहेंगे , अलबत्ता मेरा दिल अब्दुल मुत्तलिब के धर्म को छोड़ने को नहीं करता


गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011

मुसलमानों का पहला जत्था

जब आप ने अल्लाह के हुक्म से ईस्लाम का प्रचार आरंभ किया तो सब से पहले जिन लोगों ने उसे अपनाया वो निम्न हैं : खदीजा रज़ीअल्लाहो अन्हा : आप की  पत्नी खदीजा रज़ीअल्लाहो अन्हा जो आप के प्रति सब से अधिक जानकार थीं एवं आप के नबी होने के बारे में उनको पहले से ही अंदाज़ा था क्योंकि इन्होंने नबूवत की निशानियाँ देखि हुई थी तथा अपने चचा जाद भाई वरक़ा की  कही हुई बात भी जानती थीं इसलिए जब आप ने इनको अपने नबी होने की  बात बताई तो बिना किसी संदेह अथवा तरद्दुद के आप पर ईमान ले आयीं! अबूबक्र सिद्दिक़ रज़ीअलाहो अन्हो : आप के जिगरी तथा प्यारे  दोस्त जो आप से दो वर्ष छोटे थे एवं आप कि समस्त अच्छाइयों तथा सम्पूर्ण गुणों से अच्छी तरह परिचित थे  जब आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने ईस्लाम के बारे में बताया तो बिना किसी संदेह अथवा तरद्दुद के आप पर ईमान ले आये! अली रज़ीअल्लाहो अन्हो : आप के सब से प्यारे चाचा के पुत्र जो आप की किफालत में थे आप के पास ही रहते तथा खाते पीते थे आप उन्हें एक बेटे की तरह रखते एवं उनकी प्रवरिश करते जब आप ने इनको ईस्लाम के बारे में बताया तो बिना किसी संदेह अथवा तरद्दुद के ईमान ले आये उस समय उनकी आयु दस वर्ष की थी  ! ज़ैद बिन हारसा रज़ीअल्लाहो अन्हो : पहले ईमान लाने वालों में से हैं यह जाहिलियत के युग में क़ैद कर  के बेच दिए  गए थे जिनको खदीजा रज़ीअल्लाहो अन्हा के भतीजे हकीम बिन हेज़ाम ने खरीद कर उन्हें दिया था और उन्हों ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को भेंट कर दिया उसके पश्चात उनके पिता एवं चाचा   को पता चला तो उनको लेने आ गए अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने उनको एख्तेयार दे दिया कि चाहें तो उनके संग अपने घर चलें जाएँ अथवा आप के पास रहें तो उन्हों ने घर जाने से इनकार कर दिया एवं आप के पास ठहर गए ! यह चारों एक ही दिन ईमान ले आये जिस दिन आप को ईस्लाम के प्रचार का हुक्म दिया गया था    
 फिर अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हो के प्रयासों से निम्न लोग ईमान ले आये
उस्मान बिन अफ्फान ओमवी ,ज़ुबैर बिन अव्वाम असदी , अब्दुर्रहमान बिन औफ़ ज़ोहरी , साद बिन अबू वक्क़ास ज़ोहरी एवं तलहा बिन ओबैदुल्लाह तैमी रज़ीअल्लाहो अन्हुम !
फिर इनके बाद निम्न लोग ईमान लाए
अबू ओबैदा आमिर बिन जर्राह,अबू सलमा बीन अब्दुल असद ,इनकी पत्नी,उम्मे सलमा ,अरक़म बिन अबुल अरक़म , उस्मान बिन मज़ऊनउनके दोनों भाई क़ोदामा बिन मज़ऊन तथा अब्दुल्लाह बिन मज़ऊन, ओबैदा बिन हारीस बिन मुत्तलिब ,सईद बिन ज़ैद  बिन अम्र ,इनकी पत्नी फातिमा बिन्ते खत्ताब (ओमर बिन खत्ताब रज़ीअल्लाहो अन्हो की बहन ) ,खब्बाब बिन अल अरतजाफर बिन अबू तालिब , इनकी पत्नी अस्मा बिन्ते ओमैस ,खालिद बिन सईद बिन आस ,इनकी पत्नी अमीना बिन्ते खलफ तथा इनके भाई अम्र बिन सईद बिन आस हातिब इब्नुल हारीस , इनकी पत्नी फ़ातेमा बिन्तुल मोजल्लल,तथा इनके भाई होताब इब्नुल हारिस , इनकी पत्नी फकिहा बिन्ते यसार,इनके दुसरे भाई मामर इब्नुल हारिस ,मुत्तलिब बिन अज़हर, इनकी पत्नी रमला बिन्ते औफ़ तथा नईम बिन अब्दुल्लाह बिन ओसैदअन्नह्हाम रज़ीअल्लाहो अन्हुम यह सब के सब क़बीला कुरैश के भिन्न  परिवारों तथा ख़ानदानों से थे इनके अतिरिक्त ईमान लाने वालों में से निम्न लोग हैं 
अब्दुल्लाह बिन मसउद होज़ली , मसऊद बिन रबीआ अल्क़ारी, अब्दुल्लाह बिन जहश, इनके भाई अबू अहमद बिन जहश सोहैब बिन सनान रूमी ,अम्मार बिन यासिर अनसी , इनके पीता यासिर , इनकी माता सोमैया , ज़माद अल अज़दी , अबू ज़र गेफ़ारी
 तथा आमिर बिन फोहैरा रज़ीअल्लाहो अन्हुम ! इनके अलावा निम्न महिलायें ईमान लायीं 
उम्मे ऐमन बरकः हबशिया ,उम्मुल फज़ल लोबाबा अल्कुब्रा ,बिन्तुल हारिस अल्हेलालिया (अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब की पत्नी) तथा अस्मा बिन्ते अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हुन्न