सोमवार, 13 अक्तूबर 2014

यहूदियों के तीन प्रश्न

    

मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को परेशान करने की ख़ातिर  मक्का वालों ने नज़्र  बिन हारिस और उक़्बा  बिन अबु मोईत को मदीना के यहूदी पंडितों के पास भेजा ताकि उनसे अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के बारे में पूछें।  
यहूदियों ने उन दोनों से कहा कि तुम लोग उस से तीन बातें पूछो अगर वह तुम को इनकी सही ख़बर दे तो समझ लो कि वह अल्लाह का नबी है :
१ -उन युवाओं के बारे में पूछो जो पिछले ज़माने में गुज़र चुके हैं , उनका क्या मामला था ? (पुराने समय में कुछ नौजवान थे जिन्हों ने अपने ईमान  बचाने  लिए एक ग़ार  में पनाह लिया था और तीन सौ नौ वर्षों तक सोये रहे थे और जब वह जगे तो उनको लगा कि  वह दिन के कुछ पहर ही  सोये हैं . )
२ -  उस से उस आदमी के बारे में पूछो जिसने पूरब और पश्चिम समस्त भूमी का दौरा किया था। (ज़ुलक़रनैन के बारे में)
३ - तुम लोग उस से रूह (आत्मा)बारे में पूछो कि उसका सत्य क्या है ?
वह दोनों मक्का आये और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से  यह तीनों प्रश्न किये , आप ने उनसे कहा : मैं इन तीनों प्रश्नों का उत्तर तुम को कल दूंगा , और आप ने ईनशाअ अल्लाह नहीं कहा तो पंद्रह दिनों तक वही का आना बंद रहा जिसकी वजह से आप बहुत ज़्यादा परेशान और दुखी हुए , फिर सूरह कहफ़ नाज़िल हुई  जिसमें अल्लाह की तरफ से अपने रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की ताईद में इन  तीनों प्रश्नों का उत्तर दिया गया है।   


चाँद के दो टुकड़े



उनके इन्हीं मोतालेबात में से एक यह था कि  अगर तुम सच्चे हो तो चाँद के दो टुकड़े कर के दिखाओ अतः अल्लाह ने इस  मोजज़ा के ज़रीये आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की मदद फ़रमाई और आप ने चाँद की तरफ़  इशारा किया और चाँद के दो टुकड़े हो गए ,एक टुकड़ा अबुक़ोबैस नामी पहाड़ी पर नज़र आने लगा  तो दुसरा सोवैदा नामी पहाड़ी के ऊपर। जब यह नज़्ज़ारा काफिरों ने  देखा तो कहने लगे कि मुहम्मद ने उन पर जादू कर दिया है।      

उल्टे सीधे प्रश्न



मुशरेकीन ने देखा कि मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने  उनके सारे मोतालेबात को ठुकरा  दिया है तो उन्होंने आप को परेशान तथा विफल  करने के लिये उल्टे  सीधे प्रश्न और मोतालबे  करना शुरू  कर दिया : कभी कहते कि  अपने अल्लाह से  कहो कि  मक्का की इन पहाड़ियों को हम से दूर कर दे जिनकी वजह से मक्का की भूमि  हमारे लिए तंग हो गयी है ,कभी कहते कि  अपने अल्लाह से कहो कि  हमारे ऊपर जल्दी अज़ाब  नाज़िल करे।                                          

मंगलवार, 18 फ़रवरी 2014

अनोखी पेशकश


ऊमर  और हमज़ा  रजिअल्लाहो  अन्हुमा के इस्लाम लाने से मुसलमानों को जो ताक़त और हौसला मिला उसे देखते हुए मुशरेकीन ने एक मीटिंग बुलाई ताकि मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम और मुसलामानों के बारे में कोई उचित फैसला कर सकें, उस मजलिस में उतबा बिन रबीआ जो कि अपनी क़ौम का एक रसूखदार और पहुंच वाला व्यक्ति था ने कहा:क्यूँ न मैं मुहम्मद(सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) से बात करूं  और कुछ पेशकश करूं शायद उनमें से कुछ मान ले और हमारे खिलाफ कुछ न कहे। लोगों ने कहा ठीक है जाकर बात कीजिये, अतःउतबा बिन रबीआ  अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के पास गया,(उस समय आप अकेले मस्जिद में बैठे हुए थे) और कहा ऐ भतीजे!तू हम में वंश और खानदान के हिसाब से सब से अच्छे हो, और तुम ने अपनी क़ौम पर एक बहुत बड़ा बोझ लाद दिया है जिस से उनमें फूट पड़ गई है , तुम उनके देवताओं को बुरा कहते हो और उनके बाप दादाओं को काफिर कहते हो ,सुनो मैं तुम्हारे सामने कुछ बातें रखता हूँ शायद तुम उन में से कुछ को स्वीकार कर अपने काम से बाज़ आ जाओ!आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने कहा :ऐ अबुल वलीद आप बोले मैं सुन रहा हूँ। तो उतबा ने कहना आरम्भ किया :
ऐ भतीजे! तुम अपने धर्म के बदले दौलत चाहते हो तो हम तुम्हे इतनी दौलत देंगे कि तुम सब से ज़यादा मालदार हो जाओगे, और अगर सरदारी चाहते हो तो हम तुम्हे अपना सरदार बना लेंगे और तुम्हारी आज्ञा का पालन करेंगे और अगर राजा बनने कि ख्वाहिश है तो हम तुम्हे अपना राजा बनाने को तैयार हैं , और अगर औरत चाहिए तो कुरैश की जिस औरत से कहो हम तुम्हारा दस विवाह करा देंगे, और अगर तुम्हारे ऊपर जादू हो गया है तो कहो हम दौलत खर्च कर के तुम्हारा पूर्ण ईलाज कराएंगे।
उसके बाद आप सल्लल्लाहो वसल्लम ने कहा:ऐ अबुल वलीद! तुम ने अपनी बात कह ली. उस ने कहा हाँ। आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने कहा:अब मेरी सुनो, फिर आप ने सुरह सजदा की आयतें तिलावत करना शुरू कर दी तिलावत से फारिग हुए तो उतबा वहाँ से उठ कर अपने साथियों के पास आया लोगों ने जब उसे देखा तो कहा , उतबा जैसा गया था वैसा नहीं कुछ बदला बदला सा है। फिर जब उतबा उनके पास आकर बैठ गया तो उन लोगों ने पूछा उतबा क्या हुआ? तो उसने कहा अल्लाह की सौगंध मैंने जो कलाम(बात) सुना है मैंने कभी नहीं सुनी थी अल्लाह की सौगंध उसकी बातें न कविता है न जादू है और न ही किसी काहिन की बातें हैं, ऐ क़ुरैश के लोगों उसे अपनी हालत पर छोड़ दो अगर अरब के लोग इनको ख़तम कर देते हैं तो तुम्हारा काम हो जाएगा और अगर यह ग़ालिब आते हैं तो  इनकी  हुकूमत तुम्हारी हुकूमत होगी और इनकी इज्ज़त तुम्हारी इज्ज़त होगी और इनको पाकर तुमलोग दुनिया के सब से खुशनसीब लोग होगे। यह सुन कर उनलोगों ने कहा:ऐ अबुल वलीद उसने तुम पर जादू कर दिया है। उतबा ने कहा: यह मेरी राय है ,बाक़ी तुम लोग जो समझो करो।
जब यह लोग आप को वैश्विक लालच देने में नाकाम हुए तो आप को धार्मिक बार्गेनिंग में फंसाने की कोशिश की और कहा कि क्यूँ न हम यह रास्ता निकालें कि आप हमारे देवताओं की एक वर्ष पूजा करें और हम एक साल आप के अल्लाह की पूजा करें इस तरह जो सत्य होगा उसका कुछ भाग हमें मिल जाएगा। उसी समय अल्लाह तआला ने सुरह काफिरून नाज़िल फरमाई जिसका अर्थ है :(ऐ मुहम्मद!आप इनसे कह दीजिये कि ऐ काफिरों!जिन चीज़ों कि तुम पूजा करते हो मैं उनकी पूजा नहीं कर सकता। और जिसकी पूजा मैं करता हूँ तुम उसकी पूजा करने वाले नहीं हो ,और न मैं पूजा करने वाला हूँ जिसकी तुम पूजा करते हो, और न तुम उसकि पूजा करोगे जिसकी मैं पूजा करता हूँ , तुम्हारे लिए तुम्हारा धर्म और मेरे लिए मेरा धर्म) इसी तरह यह आयत भी नाज़िल हुई जिसका अर्थ है :(ऐ मुहम्मद आप (इन से) कह दीजिये:ऐ नादानों तुम लोग मुझे अल्लाह के सिवा कि पूजा का हुक्म देते हो) (सुरह जोमर :३९,६४) इसी तरह यह आयत भी नाज़िल हुई जिसका अर्थ है :(ऐ मुहम्मद आप (इन से ) कह दीजिये :तुम लोग अल्लाह के अलावा जिनकी पूजा करते हो उनकीं पूजा से मुझे रोक दिया गया है )

        

रविवार, 26 जनवरी 2014

ऊमर रज़ी अल्लाहो अन्हो का ईस्लाम लाना


हमज़ा  रज़ीअल्लाहो अन्हो  के  ईस्लाम  लाने के तीन  दिनों के बाद उमर  रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने भी ईस्लाम  क़बूल  कर लिया . इनके इस्लाम लाने से पहले ही अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो  अलैहे वसल्लम ने अल्लाह से दुआ की थी कि :" ऐ  अलाह ! अबू जहल या खत्ताब के बेटे ऊमर में से जो भी तेरे नज़दीक ज़्यादा प्रिय हो उसके ज़रिये ईस्लाम को शक्ति दे " अतः अल्लाह तआला  ने ऊमर रज़ीअल्लाहो अन्हो के हक़ में आप की प्रार्थना को कबूल कर लिया और सुबह के समय ऊमर रज़ीअल्लाहो अन्हो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो  अलैहे वसल्लम के पास आकर मुसलमान हो गए.इनके इस्लाम लाने की कहानी निम्न है:
काफिरों की तमाम कोशिसों के बावजुद इस्लाम दिनो दिन बढ़ता चला जा रहा था और मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के सहाबा की तादाद बढ़ती चली जा रही थी इसके साथ ही इस्लाम से मुखालफत भी ज़ोर पकड़ती जा रही थी क्यूंकि अरब के बड़े बड़े क़बीलों में और आस पास की  हुकूमतों में भी इस्लाम की चर्चा होने लगी थी . उमर रज़िअल्लाहो अन्हो उन लोगों में से थे जो मुसलमान होने से पहले इस्लाम से और इस्लाम लाने वालों से बहुत ज़्यादा नफ़रत करते थे और मुसलमानों को बहुत ज़यादा तकलीफें  दिया करते थे। एक दिन जब अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम काबा के पास नमाज़ पढ़ रहे थे चुपके से क़ुरआन मजीद कि कुछ आयतें सुन लीं इनके दिल में आया कि यह सत्य है लेकिन फिर भी अपने हठ  पर क़ायम  रहे।
एक दिन तलवार लेकर अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को क़त्ल करने निकले रास्ते में एक आदमी मिला इनका तेवर देख कर पूछा उमर कहाँ का इरादा है ?  उन्हों ने कहा मुहम्मद(सल्लल्लाहो  अलैहे वसल्लम) को क़त्ल करने जा रहा हूँ।  उस आदमी ने कहा : अगर मुहम्मद(सल्लल्लाहो  अलैहे वसल्लम) को क़त्ल किया तो क्या बनू हाशिम और बनू ज़ोहरा वाले तुम्हे छोड़ देंगे ? उमर ने कहा :लगता है तू भी अधर्म हो गया है। उसने कहा : मैं तुम्हे एक अजीब बात न बताऊँ ? तूम्हारी बहन और बहनोई दोनों मुसलमान हो चुके हैं। यह सुनते ही उमर गुस्से में अपनी बहन के घर चल दिए , जिनके पास खब्बाब बिन अरत रज़िअल्लाहो अन्हो थे और उन्हें क़ुरआन  मजीद पढ़ा रहे थे ,जब इनको उमर कि आहट हुई तो खब्बाब रज़िअल्लाहो अन्हो  छुप गए और इनकी बहन ने क़ुरआन मजीद कि आयतें छुपा लिया। उमर  ने अंदर आकर इन से पूछा :तुम लोग क्या पढ़ रहे थे ? उन्हों ने कहा: कुछ नहीं हम तो आपस में बातें कर रहे थे। उमर  ने कहा : शायद तुम लोग मुसलमान हो चुके हो ? इनके बहनोई ने कहा : उमर अगर सत्य तुम्हारे धर्म के अलावा में हो तो तुम्हारा क्या ख्याल है ? यह सुनते ही ऊमर उन पर पिल पड़े  और मारने लगे, बहुत मारा जब इनकी बहन बचाने आयी तो उनको भी धक्का दे दिया जिस से उनको  चोट लगी और चेहरे से खून बहने लगा , और उन्हों ने गुस्से में आकर कहा :ऎ उमर हाँ हम मुस्लम हो चुके हैं "हम गवाही देते हैं कि अल्लाह के सिवा कोई सच्ची पूजा के लाएक़ नहीं है ,और गवाही देते हैं के मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं " तुम से जो बनता है कर लो। यह सुनते ही उमर का दिल पिघल गया और अपने किये पर शर्मिंदा हुए और कहा कि जो तुम लोग पढ़ रहे थे उसे मुझे भी दिखाओ, तो उनकी बहन ने कहा कि तुम अपवित्र हो और इसे केवल पवित्र लोग हो छू सकते हैं , इसलिए तुम जाओ और स्नान करके आओ तब छूना ,उमर गुस्ल करके आये और क़ुरान मजीद की सुरह ताहा की कुछ आयतों कि तिलावत की  और कहा कि यह कितनी अच्छी बातें हैं और कितना अच्छा कलाम है ,मुझे मुहम्मद का पता दो मैं मुसलमान होना चाहता हूँ। उसी समय खब्बाब निकले और कहा कि ऐ ऊमर  तुम्हारे लिए बशारत है मैं समझता हूँ कि जुमरात की रात में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने  जो दुआ किया था वो तुम्हारे हक़ में क़बूल हुई है कि ऐ अल्लाह तुम्हारे नज़दीक दो आदमियों में से जो ज़यादा प्यारा हो उस से इस्लाम को मज़बूती अता फरमा।
फिर उन्हें बताया कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम अपने साथियों के साथ सफा पहाड़ी के क़रीब  दारे  अरक़म में हैं।  उमर दारे  अरक़म आये और दरवाज़ा खटखटाया लोगों ने झाँक कर देखा तो इन्हें तलवार सौतें हुए देखा उस वक़्त हम्ज़ा रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने कहा आने दो अगर अच्छी नियत से आया है तो ठीक है वर्ना उसी की  तलवार से उ\से उसकी गर्दन मार देंगे ,दरवाज़ा खोला गया और उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो अंदर दाखिल हुए तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो  अलैहे वसल्लम  ने उनको पकड़ कर झंझोड़ा और कहा उमर जब तक अल्लाह वलीद बिन मोघीरा जैसा तुम्हारा हाल न कर दे तुम बाज़ नहीं आओगे। ऐ अल्लाह यह ऊमर बिन खत्ताब  है इसके ज़रीये इस्लाम को मज़बूत कर। उसी समय ऊमर  ने कलमा पढ़ा कि " मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई सच्ची पूजा के लाएक़ नहीं और यह गवाही देता हूँ कि आप अल्लाह के रसूल हैं" यह सुनते ही सारे लोगों ने अल्लाहु अकबर का नारा इतनी ज़ोर से लगाया जिसे मस्जिदे हराम में मौजूद लोगों ने भी सुना।
ऊमर  रज़ीअल्लाहो अन्हो  के इस्लाम लाने से एक तरफ काफिरों को जहां बहुत बड़ा आघात पहुंचा वहीँ मुसलमानों के अंदर ताक़त आ गई क्यूंकि ऊमर  रज़ीअल्लाहो अन्हो  अपनी क़ौम के काफी मज़बूत और साहबे इज्ज़त आदमी थे इस से पहले मुसलमान छुप छुपा कर नमाज़ पढ़ा करते थे लेकिन जब ऊमर रज़ीअल्लाहो अन्हो इस्लाम लाये तो खुल्लम खुल्ला नमाज़ें अदा करने लगे।