मंगलवार, 22 जून 2010

दादा की छत्रछाया में

उम्मे अयमन आप को लेकर मक्का आईं तथा आप को आप के दादा को सौंप दिया इस घटना से आप के दादा को काफ़ी पीड़ा तथा रंज हुआ इसी कारण आप के दादा आप पर अती मेहरबान रहा करते इतना किसी पर मेहरबान नहीं रहते,  आप से खूब प्रेम करते तथा अपने बेटों पर तरजीह देते , आप का खूब ख्याल रखते , अपने खास बिस्तर पर बिठाते जिस पर किसी दूसरे को बैठने की हिम्मत नहीं होती , आप के पीठ को छूते तथा आप के खेल कूद तथा कार्यों से परसन्न्  होते , वो मानते थे कि  उनका पोता  भविष्य में महानतम व्यक्ति होगा , तथा इसकी   बड़ी शान होगी दो वर्ष के बाद जब आप कि आयु आठ वर्ष दो महीने तथा दस दिन की हो गयी तो उनका निधन हो गया , मरने से पहले उन्होंने आप को आपके चाचा अबू तालिब को सौंप दिया

माता की छत्रछाया में

हलीमा के यहाँ से आने के उपरांत लगभग दो वर्ष आपने अपनी माता की छत्रछाया में अपने परिवार में बिताया फिर आप की माता आप को लेकर उम्मे अयमन के संग अपने मैके मदीना गईं जहाँ उनके पति अब्दुल्लाह की क़ब्र भी थी, मदीना में एक मास ठहरने के बाद मक्का के लिए लौट गयीं वापसी में मक्का एवम् मदीना के बीच में अबवा नामी स्थान पर बीमार हुईं तथा वहीं उनका देहांत हो गया , और वहीं दफ़ना दी गयीं . आप उम्मे अयमन के साथ मक्का वापस आ गये. अब आप माँ  और बाप दोनों की तरफ से अनाथ हो चुके थे                

सीने की सर्जरी

हलीमा सादिया के घर में आप लग भग चार वर्षों तक रहे इस बीच एक ऐसी घटना घटी जिस ने हलीमा तथा उनके परिवार को डरा दिया , और वो घटना है आप के सीने को चीर कर शैतान के हिस्से का निकाला जाना , अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहो अन्हो ने इस घटने का वर्णन संछेप में कुछ इस तरह किया है : आप कुछ लड़कों के साथ खेल रहे थे कि जिबराईल अलैहिस्सलाम आप के पास आए तथा आप को ज़मीन पर डाल कर आप के पेट को चीर दिया , उस में से आप का दिल निकाला , फिर उस में से एक टुकड़ा निकाला ,और आप से कहा कि : यह आप के अंदर शैतान का हिस्सा था. फिर आप के दिल को सोने की थाली में ज़मज़म के पानी से धोया, फिर उसे साफ करके उसी स्थान पर लौटा दिया
लड़के दौड़ते हुए आप की रेज़ाई माँ ( हलीमा ) के पास आए और कहने लगे : मुहम्मद की हत्या कर दी गयी , लोग जब आप के पास पहुँचे तो आप का रंग बदला हुआ था . अनस कहते हैं कि : मैंआप की छाती में चीर का निशान देखता था इस घटना ने हलीमा को इतना भयभीत कर दिया कि वो तुरंत आप को लेकर आप की माता के पास चली गयीं तथा उनको उनका लाडला सौंप दिया

हलीमा सादिया के घर में

उस समय अरब में रवाज था कि आस पास के देहात की रहने वाली औरतें शहरों में जाकर दूध पीते बच्चों को लाया करतीं तथा स्तनपान (दूध पिलाने) के बदले में उनको अच्छा ख़ासा मुआवज़ा मिल जाता, शहर वाले भी अपने बच्चों को गांव देहातों में भेज दिया करते ताकि उनको शहरी बीमारयो से बचाएँ ताकि उनका शरीर मज़बूत हो जाए एवम् बचपन में ही उनको शुद्ध अरबी भाषा का ज्ञान हो जाए
अतः क़बीला हवाज़ीन के बनूसाद की हलीमा सादिया नामी औरत अपने पति अबू कब्शा हारिस पुत्र अब्दुल उज़्ज़ा एवम् क़बीले की दूसरी औरतों के संग बच्चे की तलाश में मक्का आई , आप को गोद लेने की कहानी का वर्णन खुद हलीमा करती है , कहती है : मै अपनी एक गध्धी पर सवार होकर जिसका रंग लाली मिली हुई उजला था दूसरी औरतों तथा अपने पति हारिस पुत्र अब्दुल उज़्ज़ा के साथ निकली मेरी सवारी के टाँग ( कमज़ोरी तथा दुबला होने के कारण ) आपस में टकरा कर ज़ख़्मी हो गये थे . मेरे संग एक बूढ़ी उंटनी भी थी जो अल्लाह की सौगंध एक क़तरा भी दूध नहीं देती थी और वो सुखाड़ का साल था लोग भूक प्यास से परिशान थे और मेरे साथ मेरा एक बेटा था ,अल्लाह की सौगंध ! वो रात भर नहीं सोता था, और मेरे पास कोई ऐसी चीज़ नहीं थी जिस से मै उसे बहलाती , हम तो केवल बारिश की प्रतीक्षा कर रहे थे हमारे पास कुछ बकरियाँ थी जिन से दूध की आस लगाए हुए थे , जब हम मक्का पहुँचे तो हम में से सब ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलएहे वसल्लम को देखा लेकिन उन्हें लेना पसंद नहीं किया , हम सब कहते थे : ये तो अनाथ है , दूध पिलाने वाली औरत का ख्याल तो उसका पिता करता है उसकी माता या उसके चाचा या उसके दादा हमें क्या देंगे ? मेरी समस्त सहेलियों को दूध पीने वाले बच्चे मिल गये . मुझे रसुलुल्लाह ( सल्लल्लाहो अलएहे वसल्लम) के सवाए कोई अन्य नहीं मिला मै उनके पास वापस गयी और उन्हें ले लिया , अल्लाह की क़सम मैने उनको इस लिए लिया कि मुझ को उनके अलावा कोई दूसरा बच्चा न मिला , मैने अपने पति से कहा : अल्लाह कि क़सम मै बनू अब्दुल मुत्तलिब के इस अनाथ बालक को अवश्य लूँगी आशा है कि ईश्वर् हम सब को इस से लाभ पहुँचाएगा मै अपनी सहेलियों के साथ बिना बच्चा लिए वापस नहीं जाऊंगी , उन्होंने कहा तुम्हारी राय उपयुक्त है , हलीमा कहती है : मै उसे लेकर अपने खेमे (शिविर ) में आ गयी , अल्लाह कि क़सम जैसे ही मैने अपने तंबू में परवेश किया मेरे दोनों स्तन दूध से भर गये यहाँ तक कि मैने उनको  (अर्थात अल्लाह के रसूल) (सल्लल्लाहो अलएहे वसल्लम) और उनके दूध शरीक भाई को पेट भर कर दूध पिलाया , और उनके पिता उंटनी के समीप गये तो देखा कि उस का थन दूध से भरा हुआ है , उन्हों ने उसे दूहा , मुझे पेट भर कर पिलाया तथा खुद भी पिया उन्होंने कहा : ऐ हलीमा अल्लाह कि क़सम ! मुबारक जान मिली है . अल्लाह ने उसके कारण हमें वो सब कुछ दिया है जिसकी हम आशा नहीं करते थे . हलीमा कहती है : हम उस रात चैन कि नींद सोए . पहले तो हम अपने बच्चे के साथ रात को सो नहीं पाते थे. फिर हम लोग सुबह के समय अपने ईलाक़े कि तरफ वापस चल पड़े मै अपनी    सफेद गधि पर सवार हुई और आप को अपने साथ सवार कर लिया , उस अल्लाह कि क़सम जिस के हाथ में हलीमा कि प्राण है ! मै सारी औरतों से आगे बढ़ गयी वो कहने लगीं : हलीमा तनिक हमारा ख्याल करो , क्या यह वही गधि नहीं है जिस पर तुम सवार होकर अपने घर से चलीं थीं ? मैने कहा : हाँ , उन्होंने कहा : जब हम चले थे तो इस के घुटने ज़ख़्मी हो गए थे , अब ये बदलाव कहाँ से आ गया ? मै ने कहा : अल्लाह कि क़सम मैने इस पर एक मुबारक लड़के को अपने साथ बीठाया हुआ है हलीमा कहती है   : जब हम वहाँ से निकले तो अल्लाह हर दिन हमारे लिए खैर तथा भलाई में वृद्धि करने लगा , और जब हम अपने गांव वापस आए तो पूरा ईलाक़ा सूखा ग्रस्त था लोगों के चरवाहे बकरियाँ ले कर सुबह को जाते तथा संध्या को वापस आते किंतु उनकी बकरियाँ वैसी ही भूकि रहतीं , लेकिन मेरी बकरियाँ पेट भर कर दूध से भरी हुई वापस आतीं हम उन्हें दूहते और पीते,हलीमा कहती है : आप बड़ी तेज़ी से परवरिश पा रहे थे, जब आपने दो वर्ष पूरे कर लिए तो मै और मेरा पति उनको लेकर मक्का आए , हम आपस में कहते थे कि अल्लाह कि क़सम हम इस बच्चे को अपने आप से कभी अलग नहीं करेंगे , अतः जब हम आप की माता के पास आए तो उनसे कहा : अल्लाह की क़सम ! हम ने कभी इस से ज़्यादा बरकत वाला बच्चा नहीं देखा , हमें इस के प्रति मक्का की वबाओं तथा बीमारियों से डर लगता है इस लिए तुम आज्ञा दो कि हम इसे दोबारा अपने संग ले जाएँ , हम बराबर ज़ोर देते रहे यहाँ तक कि उन्होंने आज्ञा देदी और हम उनको लेकर वापस चले आए, फिर चार साल पूरा होने से पहले ही हम उनको उनकी माता के पास छोड़ आए " यहाँ यह बता दें कि हलीमा के चार बच्चे थे जिनके नाम है :अब्दुल्लाह ,हुज़ाफा ,अनिसा तथा शएमा , अतः ये चारों आप के रेज़ाई अर्थात दूध शरीक भाई हुए

आप का स्तनपान

जब आप का जन्म हुआ तो उम्मेअयमन जो आप के पिता अब्दुल्लाह की नौकरानी थीं उन्हों ने आप की देख भाल तथा पर्वरिश की , जब आप बड़े हुए तो आप ने उनको आज़ाद कर दिया और उनका विवाह अपने चहेते आज़ाद किय हुए गुलाम जैद पुत्र हरसा से कर दी जिन से ओसामा पैदा हुए
आप की माता के बाद जिस औरत ने सब से पहले आप को दूध पिलाया उनका नाम सोअयबा है जो आप के चाचा अबुलहब की लोंड़ी थी उस समय उनका पुत्र भी दूध पी रहा था जिसका नाम मसरूह था , इस से पश्चात सोअयबा आप के चाचा हमज़ा को भी दूध पीला चुकी थी , तथा आप के बाद अबुसलमा पुत्र अब्दुल असद मखज़ूमी को भी दूध पिलाया , इस तरह इस्लामी क़ानून के मुताबिक़ यह तीनों आप के रेज़ाई (दूध शरीक ) भाई हुए
यह अबुलहब की वहीं लोंड़ी है जिसको उसने आप के जन्म के समय खुशी से आज़ाद कर दिया था लेकिन बाद में जब आप ने इस्लाम का प्रचार आरंभ किया तो सब से बड़ा दुश्मन बन गया तथा आप को तरह तरह से सताने तथा तकलीफ़ देने लगा

गुरुवार, 10 जून 2010

आप का नाम

जब आप का जन्म हुआ तो आप की माता ने आप के जन्म की खुशख़बरी आप के दादा अब्दुल मुत्तलिब के पास भेजी , आप के दादा आप के पास आए और गोद में ले कर खाना काबा में गये तथा अल्लाह का धन्यवाद किया और आप के लिए प्रार्थना की तथा सातवें दिन आप का अक़ीक़ा किया, क़बीला क़ुरैश का भोज किया और आप का ख़तना किया एवम् आप का नाम मुहम्मद रखा जिसका मतलब होता है : जिस की खूब तारीफ़ की जाए और संसार में उस का नाम बुलंद हो.  तथा आप की माता ने आप का नाम अहमद रखा , जिसका मतलब होता है :  ईश्वर् की सब से ज़्यादा तारीफ करने वाला जिस की तरह अल्लाह की तारीफ और कोई न कर सके. जब अब्दुल मुत्तलिब ने आप के अक़ीक़े का भोज किया तो क़बीले के लोगों ने उन से प्रश्न किया कि आप ने अपने इस पोते का  नाम क्या रखा है ? तो उन्होंने कहा : ( मुहम्मद) , तो क़बीले वालों को इस नाम पर आश्चर्य हुआ क्योंकि यह एक अनोखा तथा नया नाम था जो कभी सुनने में नहीं आया था . उनलोगों नें उन से पूछा कि आख़िर बाप दादा कि रीति रवाज से हट कर आपने अपने पोते का नाम क्यों रखा बाप दादाओं के नाम पर क्यों नहीं रखा ? अब्दुल मुत्तलिब ने   उत्तर दिया कि : मैने इसका नाम मुहम्मद इसलिए रखा ताकि अल्लाह आसमान में इसकी तारीफ करे और ज़मीन पर बसने वाले ज़मीन पर इसकी तारीफ करें .