शनिवार, 12 दिसंबर 2009

धार्मिक स्तिथि

अरब समाज में बुत परस्ती आम थी उनमें सितारों की पूजा भी की जाती थी दक्षिणी भाग के अरब क़बाईल सालुसे मुक़द्दस ( Holy Trinity ) पर यकीन रखते थे जो चन्द्रमा , सूर्य एवं जोहरा से मिलकर बनते थे
फिर जब अल्लाह ने अपने दूत इस्लामाईल अलैहिस्सलाम को नबी बना कर भेजा तो वोह केवल एक अल्लाह की पूजा करने लगे और एक ज़माने तक इसी धर्म पर कायम रहे एवं कई सदियों के बाद दोबारा बुत परस्ती उन में लौट आई और यह फिर से बुत परस्त बन गए इस्माईल अलैहिस्सलाम की औलाद में मुद्रका के पुत्र होजैल और उस के बेटों ने सब से पहले बुत बनाया और उसे यंबो नमी शहर में रखा इस बुत का नाम सुवा था इसी तरह दुमातुल्जन्दल नमी देश में वाब्र के बेटे कल्ब ने वुद्द नमी बुत बनाया इसी तरह तै नामी कबीले में यगुस और यमन के हमदान नामी इलाके में यऊक तथा हमीर में नसर नामी बुत बनाया गया
इसी तरह तमीम , ओमान बहरेन एवं कुछ अरब क़बीलों में मजुसिअत ( अग्नि पूजा करने वाले) फैली हुई थी इनका अकीदा था कि संसार को दो शक्ति(किरण तथा अंधकार या पुण्य तथा पाप ) मिलकर चलाती है
इनके अलावा यमन तथा हिजाज़ में यहुदिअत एवं ईसाइयत भी पहली हुई थी और कुछ भागों में तो इनका बर्चस्व कायम था

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