शनिवार, 12 दिसंबर 2009

राजनैतिक स्थिति

मुहम्मद सल्लल्लाहोअलैहेवसल्लम के जन्म के समय अरब दीप में दो तरह की हुकूमतें हुआ करती थीं
प्रथम : वोह महाराजा जिन की बाजाप्ता ताजपोशी होती थी लेकिन राजनीती में इनका कुछ ज्यादा अमल दखल नहीं हुआ करता था , इन महाराजाओं में मशहूर हीरा , सिरिया तथा हेजाज़ के बादशाह हैं
दित्तिए : क़बीलों के सरदार या मुखिया जिनकी एक खास राजनैतिक स्थिति हुआ करती थी एवं उन्हीं का हुक्म चला करता था पूरा समाज आका और गुलाम दो वर्गों में बँटा हुआ था कोई ऐसी हुकमत या शक्ति नहीं थी जो कमज़ोर वर्ग के अधिकारों के लिए लड़ सके एवं उनको ऊँचे वर्ग के लोगों के ज़ुल्म एवं अधिकार हनन से बचा सके
इलाके की राजनीती में मक्का की एक खास हैसियत थी चूँकि मक्का हिजाज़ का एक अतिमहत्त्वपूर्ण शहर था इसलिए इलाके की राजनितिक करारदादों में इसका योगदान महत्वपूर्ण हुआ करता था दारुन्नादवा नामी सभागार जो इनका पार्लियामेन्ट था में इकठा होकर यह अपने राजनैतिक ,धार्मिक एवं आर्थिक फैसले लिया करते थे इस सभा में चालीस वर्ष से कम आयु का व्यक्ति दाखिल नहीं हो सकता था इस सभा के सदस्यों का चुनाव उनकी दौलत एवं पूर्व की सेवाओं के आधार पर होता था, बहुत से अरब कुरैश के सरदारों को सिरिया और फारस के राजाओं से बेहतर एवं बालातर समझते थे यहाँ यह बता देना महत्वपूर्ण है की अरब हमेशा स्वतंत्र रहे हैं और कभी किसी बाहरी हुकूमत का कब्जा इन के उपर नहीं हुआ है

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