शनिवार, 12 दिसंबर 2009

अरबों की अच्छी और बुरी आदतें

अच्छी आदतें : अरबों के अन्दर ढेर सारी अच्छी आदतें थीं जिन पर उन्हें गर्व था उनकी उन उच्छी आदतों में से कुछ निम्न हैं :
१ - सखावत एवं फैयाजी में यह बहुत मशहूर थे सूखे और क़हत्साली के दिनों में भी मेहमानों के लिए अपनी सवारी का ऊंट ज़बह कर दिया करते थे
२ - दियत ( क़त्ल के बदले में तय्शुदः रकम अदा करके बदले में क़त्ल किया जाने से बचना ) की बड़ी बड़ी रकमों एवं दूसरो के कर्जों का बोझ उठाते
३ - बेसहारों और परीशां हालों की मदद करते
४ - कमजोरों की हिमायत करते
५ - ताक़त और कुदरत रखते हुए बदला नहीं लेते
६ - सत्यता एवं अमानत का बहुत ज्यादा ख्याल रखते
७ - जिल्लत और रुसवाई को बर्दाश्त नहीं करते
इनके अलावा भी इनके अंदर बहुत सारी अच्छी आदतें थीं
बुरी आदतें
१ - बदकारी
: अरब समाज में पराई महिलाओं के साथ बदकारी(जिनाकारी ) एक आम बात थी अक्सर अरब इस पाप की तरफ अपनी निस्बत करने में कोई आर और शर्म महसूस नहीं करते थे यह बुराई आम तौर पर लोंडियों में ज्यादा पाई जाती थी
वहीं पे बहुत सारे अरब के शरीफ व्यक्तियों के नज़दीक स्त्री का बहुत ऊँचा स्थान था एवं इन में औरतों के पर्ति काफी श्रद्धा पाई जाती थी ऐसे घरानों में औरतें स्वयं अपना वर चुनती थीं एवं ससुराल में अभद्र व्यवहार पर उन्हें छोड़ कर माइके चली जाती थीं यह अपनी औरतों की हिफाज़त के लिए अपनी जान तक लड़ा देते थे उनको लड़ाईयों में ले जाते ताकि उनका हौसला बढाएं
२- लड़कियों को जिंदा ज़मीन में गाड देना : यह बुराई अरब में आम थी क्योंकि लड़की का पैदा होना इनके यहाँ आर और शर्म की बात थी उनकी पैदाइश पर मुंह छुपाते फिरते थे एवं इन्हें जिंदा ज़मीन में गाड देते थे ,अल्लाह ताआला इनकी हालात का वर्णन करते हुए कहता है : " जब इनको बेटी के ( जन्म ) की खुशखबरी (सुसमाचार) दी जाती है तो इनका चेहरा काला पड़ जाता है अतः वोह ग़म से निढाल हो जाता है इस बुरी खबर कि वजह से लोगों से छुपा फिरता है सोचता है कि क्या उसको जिल्लत ( अपमान ) के साथ रखे अथवा उसे मिट्टी में गाड दे " (कुरआन मजीद सुरः नहल /58 - 59)
इनके इस घिनावने कार्य की सजा अल्लाह तआला उनको कियामत के दिन ज़रूर देगा फरमाता है :" जब जिंदा ज़मीन में गाड दी गई लड़कियों से(कियामत के दिन ) पूछेगा कि तुन्हें किस पाप के बदले मार डाला गया " (सुरः तक्वीर ८ – 9 )
३ - शराब : शराब उनकी घुट्ठी में पड़ी थी कुछ जनों को छोड़ सभी इस बुराई में लिप्त थे
४ - विवाह के लिए कोई हद नहीं थी जितनी औरतों से चाहते शादी कर लेते यहाँ तक कि इसलाम ने आकर इसे चार में महदूद कर दिया
५ - कोई आदमी दो सगी बहनों से विवाह कर के एक साथ दोनों को रखता
६ - अगर कोई आदमी अपनी पत्नी को तलाक दे देता या या वोह आदमी मर जाता तो उसका बेटा उस से शादी कर लेता
७ - कभी दस आदमियों से कम लोग एक स्त्री से सम्भोग करते और जब बच्चा पैदा होता तो वोह औरत अपनी सोंच के मुताबिक जिसे चाहती उसका पिता ठहराती
८ - कभी ऐसा होता कि मर्द अपनी पत्नी को माहवारी से निकलने के बाद किसी ऐसे आदमी के पास सम्भोग के लिए भेजता जो बहादुरी एवं अच्छाई में मशहूर होता ताकि बच्चा उसी जैसा पैदा हो
९ - कभी ऐसा भी होता कि दो मर्द सम्भोग के लिए अपनी पत्नियाँ बदल लेते

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