मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

मक्का आबाद होता है

इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अपने ईश्वर् के हुक्म से अपनी पत्नी हाजरा अलैहस्सलाम एवम् पुत्र इस्माईल अलैहिस्सलाम को लेकर वादी ए मक्का में गए और उन्हें वहीं छोड़ कर चलने लगे तो उनकी पत्नी ने पूछा कि हमे इस गैर आबाद स्थान पर किसके भरोसे छोड़ कर जा रहे हैं, क्या ईश्वर ने आप को इसका हुक्म दिया है ? तो उन्होंने उत्तर दिया कि हाँ ईश्वर् ने ही इसका हुक्म दिया है ! तो हाजरा अलैहस्सलाम ने कहा : तब मै ईश्वर् के हुक्म से राज़ी हूँ इस के बाद इब्राहिम उनके लिए एक थैली में कुछ खाने का सामान और पानी का एक घड़ा रख कर उन से विदा हो गए! और फिर हाजरा अलैहस्सलाम अपने नन्हे से पुत्र के साथ वहाँ अकेली रह गयीं , फिर जब घड़े का पानी ख़तम हो गया और दोनों प्यासे हुए तो हाजरा अलैहस्सलाम पानी कि खोज में सफा और मरवा नामी पहाड़ीओं के बीच चक्कर काटने लगी ताकि कुछ पानी मिल जाए इस बीच वो अपने पुत्र को बार बार देखने भी आ जाती थी इस तरह उन्हों ने इन पहाड़ीओं के बीच कुल सात चक्कर लगाए फिर अचानक देखती हैं कि बच्चे के दोनों पावं के नीचे से एक पानी का चश्मा फुट पड़ा है यह देखते ही वो दौड़ी हुई आईं और पानी को पत्थरों और मिट्टी से घेरने लगीं ताकि पानी इधर उधर बह न जाए ! इस तरह ज़मज़ंम का कुवा बना और उस का पानी बहुत ज़्यादा हो गया जिसे आज तक पूरी दुनिया के हाजी पीते भी हैं और अपने साथ अपने देश भी ले जाते हैं !
एक दिन यमन के क़बीला जुरहूम का गुज़र इस वादी से हुआ ये लोग पहले भी इस रास्ते से यात्रा किया करते थे , इन्होंने क़रीब ही परिंदों को उड़ते हुए देखा तो अपने एक आदमी को खबर लाने के लिए भेजा तो उसने पानी कि खबर दी ये लोग कुएँ के पास आकर हाजरा अलैहस्सलाम से वहाँ आकर आबाद होने कि इजाज़त माँगी तो उन्होंने इस शर्त पर उनको इजाज़त दे दी कि इस पानी पर उन लोगों का हक नहीं होगा ! इस तरह उस वक़्त मक्का आबाद हुआ और गुज़रते समय के साथ उसकी आबादी बढ़ती चली गयी !

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