सोमवार, 26 अप्रैल 2010

इस्माईल की क़ुर्बानी

इब्राहीम अलैहिस्सलाम इश्वर के दूत थे और अपने कर्तव्य के पालन के लिए अल्लाह के हुक्म से अनेक देशों की यात्रा करते रहते थे और अपनी पत्नी एवम् पुत्र की देख रेख के लिए कभी कभार मक्का आया करते थे अल्लाह ने उनको एक बार सपने में दिखाया की वो अपने बेटे इस्माईल अलैहिस्सलाम की क़ुर्बानी कर रहे हैं ( यहाँ यह बता दें की नबीयों का सपना ईश्वरीए हुक्म हुआ करता है ) अतः इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने इस ईश्वरीए हुक्म को अपने प्रीय एवम् एक्लओते पुत्र के समच्छ रखा जो उस समय तेरह बरस की आयु को पहुँच चुके थे , उन्होंने फ़ौरन जवाब दिया की आप को ईश्वर ने जो आज्ञा दिया है उसे तुरंत कर डालिए अगर ईश्वर ने चाहा तो आप मुझे सब्र करने वाला(धैर्य वाला) पाएँगे ईश्वर के लिए सब कुछ क़ुरबान कर देने वाले पिता और पुत्र ईश्वर की आज्ञाकारिता के लिए चले ऐसा अनुपालन , अल्लाह के समक्ष ऐसा आत्मसमर्पण एवम् ऐसी तपस्या इतिहास के पन्नों में ढूढ़ने से नही मिलेगी इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने छुरी लिया और इस्माईल अलैहिस्सलाम को माथे के बल लिटाया फिर अल्ल्लह का नाम लेकर छुरी को इस्माईल अलैहिस्सलाम की गर्दन पर चलाया लेकिन छुरी काट न सकी उसी समय अल्लाह ने पुकारा : ऐ इब्राहीम ! तूने ख्वाब को सच कर दिखाया फिर अल्लाह ने इस्माईल अलैहिस्सलाम के बदले एक बड़ा जानवर भेज दिया ताकि उसकी क़ुर्बानी कर सकें इसी का वर्णन अल्लाह तआला ने क़ुरान मजीद के अंदर इन शब्दों में किया है: ( हम ने इब्राहीम को पुकारा की ऐ इब्राहीम ! तूने खवाब को सच कर दिखाया हम नेक लोगों को ऐसा ही बदला ( पुरस्कार ) देते हैं , यह एक खुली हुई परीक्षा है , और हम ने उस लड़के के फीदीया (बदले) में एक बड़ा जानवर भेज दिया )
इस पुण्य को अल्लाह तआला ने इस्माईल अलैहिस्सलाम की नस्ल में और अपने रसूल मुहम्मद सललाल्लाहो अलैहै वसल्लम की उम्मत में क़यामत तक के लिए जारी कर दिया जिसे पूरे विश्व में करोड़ों मुसलमान पर्ति वर्ष मनाते हैं

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