सोमवार, 30 अप्रैल 2012

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम और मुशरेकीन का रवैय्या


अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम अपने उदारता,आदर और गरीमा जो कि  अल्लाह तआला ने आप को दे रखी  थी उनकी  वजह से बहुत सारी परीशानियों से  बचे रहते,अबुतालिब भी पूरी तरह से आप की हिमायत करते जो कि कुरैश के एक महान पुरुष थे ,आपकी बातों और फैसलों का एहतेराम किया जाता था ,और पुरे अरब में आप को इज्ज़त की निगाह से देखा जाता था.इसी वजह से आपको सताने में लोग इह्तेयात से काम लेते थे, उन्होंने अपनी बात रखने के लिए आप के चाचा के पास पहुंचे और थोड़ी  धमकी भरे अंदाज़ में ही अपनी बात रखी .
कुरैश के कुछ बड़े लोग अबुतालिब के पास पहुंचे और उन से कहा : आप का यह भतीजा हमारे देवी देवताओं को गाली देता है ,हमारे मज़हब को ग़लत कहता है, और हमारे पूर्वजों को भटका हुआ कहता है,या तो आप उसे रोकिए या हमारे बीच से हट जाईये क्योंकि आपका भी वही धर्म है जो हमारा है! अबुतालिब ने उन से मुनासिब तथा नर्म बातें कहीं और वह लोग वापस चले आये.
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम अपने मिशन में लगे रहे और बन्दों को एक अल्लाह की पूजा की तरफ बुलाते रहे ,यह देख कर वह लोग फिर अबू तालिब के पास गए तथा कहने लगे:ऐ अबुतालिब! आप हमारे नज़दीक  बुज़ुर्ग तथा माननिय व्यक्ति हैं ,हम ने आपको अपने भतीजे को मना करने के लिए कहा था लेकिन आपने उसे नहीं रोका ,और हम अपने देवताओं की बुराई नहीं बर्दाश्त कर सकते , आप या तो उसे रोकिए या उसका साथ देना छोड़ दीजिए फिर हमारे बीच फैसला हो जाएगा ! यह कह कर वह लोग चले गए.
इस धमकी से अबुतालिब परेशान हो गए और आपको बुला कर उनकी बात बताई और कहा: खुद पर और मुझ पर मेहरबानी कर ,मेरे ऊपर इतना बोझ मत डाल जिसे मैं बर्दाश्त  कर सकूं.
अपने चाचा की मजबूरी और कमज़ोरी देख कर आप आबदीदा हो गए और रोने लगे और कहा:  "चाचा जान !यह लोग मेरे दाहिने हाथ में सूरज और बाएं हाथ में चाँद रख दें और कहें कि यह काम छोड़ दूँ तो यह नामुमकिन है यहाँ तक कि अल्लाह तआला इस दीन को ग़ालिब करदे या मैं ख़तम हो जाऊं".
आप के इस दृढ़ संकल्प को देख कर अबुतालिब नरम पड़ गए और कहा:भतीजे अपना काम करते रहो मैं तुझे किसी बात पर मजबूर नहीं करूंगा.
जब कुरैश ने देखा कि उनकी धमकी का कोई फाईदा नहीं हुआ और आप अपने काम में लगे हुए हैं और अबुतालिब आप की हिमायत भी कर रहे हैं तो वह एक अजीबो ग़रीब प्रस्ताव ले कर अबुतालिब के पास पहुंचे,ओमारा बिन वलीद जो कि कुरैश के नौजवानों का सरदार  और बहुत ही हसीन और ख़ूबसूरत था उसको लेकर उनके पास गए कहा :अबुतालिब आप इस लड़के को अपना बेटा बना लीजिए और अपने उस भतीजे को हमारे हवाले कर दीजिए जिस ने आप के और आपके पूर्वजों के धर्म का उल्लंघन किया है और आपकी कौम में फुंट डाल दिया है.हम आप को एक आदमी के बदले एक आदमी दे रहे हैं.
अबुतालिब ने कहा : अल्लाह की क़सम तुम लोग मेरे साथ कितना बुरा मामला करना चाहते हो ,तुम लोग अपना बेटा मुझे दोगे कि मैं उसे खिलाऊं पिलाऊं और उसकी परवरिश करूं ,और मैं तुम्हें  अपना बेटा दूं जिसे तुम लोग क़तल करोगे.अल्लाह की क़सम ऐसा कभी नहीं हो सकता. 
इसके बाद उनलोगों की सारी उम्मीदें टूट गईं और जब देखा कि धमकी से कोई बात नहीं बन रही है तो उनकी दुश्मनी और बढ़ गई और आप को तकलीफें देनीं की नित नई तरकीबें सोचने लगे,और कुरैश के गुंडों को आपके पीछे लगा दिया ताकि वह आप को क़तल कर दें या आप शहर छोड़ दें.
उपरान्त नाकाम कोशिशों के बाद उन्हों ने एक और तथा अंतिम कोशिश करनी चाहि अतः सब लोग  जमा हो कर आप के पास आये और आप से कहा: ऐ मुहम्मद ! अगर तुम  धन चाहते हो तो हम  तुमको  इतना धन देंगे कि तुम सब से अधिक मालदार हो जाओगे ,और अगर सरदारी  चाहते हो तो हम तुम्हें अपना सरदार बनाने के लिए तैयार हैं ,और अगर राजा बनना चाहते हो तो हम तुम्हें अपना राजा  बना देंगे,और अगर तुम पर किसी जिन्न का असर  है तो अपनी दौलत  ख़र्च करके तुम्हारा ईलाज  कराएंगे  और तुम ठीक हो जाओगे या फिर हम तुमको माज़ूर समझने लगेंगे.
आप ने उन लोगों से कहा: तुम जो कुछ कह रहे हो उन में से कोई भी बात सहीह नहीं है , मुझ को तो अल्लाह तआला ने रसूल (दूत) बना कर भेजा है,और मुझ पर कुरआन करीम नाजिल फ़रमाया है ,और मुझे हुक्म दिया है कि तुम लोगों को जन्नत की खुशखबरी सुनाऊँ और जहन्नम की आग से डराऊं, मैं ने तुम तक अपने रब का सन्देश पहुंचा दिया है, और तुम्हारी भलाई चाहा है,अगर मेरी दावत क़बूल कर लोगे तो दुनिया और आख़ेरत में कामयाब हो जाओगे और अगर तुम इसका इनकार कर देते हो तो मैं सब्र करूंगा यहाँ तक कि अल्लाह हमारे और तुम्हारे बीच फैसला कर दे.

  




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