रविवार, 15 अप्रैल 2012

सफ़ा पहाड़ी पर


एक दिन आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम  अल्लाह के हुक्म से सफ़ा नामी पहाड़ी पर चढ़े और  सब से ऊपरी टीले पर चढ़ कर आवाज़ लगाई:"या सबाहाहो" यह शब्द उस युग में किसी आक्रमण अथवा महत्वपूर्ण घटना की खबर देने के लिए कहा जाता था.
फिर आप ने कुरैश के खानदानों को पुकारना शुरू किया एक एक कबिले का नाम लेते , ऐ बनी फ़हर के लोगों ! ऐ बनी अदि के लोगों ! ऐ फलां क़बीले वालों ! ऐ फलां क़बीले वालों !ऐ बनी अब्दे मोनाफ़ ! ऐ बनी अब्दुल मुत्तलिब !
जब लोगों ने यह आवाज़ सुनी तो कहने लगे कि यह आवाज़ कौन लगा रहा है ? जब बताया गया कि मुहम्मद की आवाज़ है तो लोग उस तरफ दौड़ पड़े ,और अगर कोई नहीं जा सका तो अपना आदमी भेज दिया कि वह हक़ीक़त का पता लगा सके .
जब सारे लोग इकट्ठा हो गए तो आप ने उन से पूछा : " अगर मैं यह कहूँ कि इस पहाड़ के पीछे वाली वादी में एक सेना तुम पर आक्रमण के लिए तैयार है तो क्या तुम मेरी बात मानोगे ?" लोगों ने कहा : बील्कुल, क्यों कि हम ने आप को कभी झूट बोलते नहीं पाया बल्कि सदैव सच बोलते हुए ही पाया है .
फिर आप ने फ़रमाया :" मैं तुम्हें  भयानक अज़ाब से डराने के लिए आया हूँ " आप ने आम लोगों और विशेष लोगों को भी डराया ,कहा :"ऐ कुरैश वालों! खुद को नर्क से बचा लो मैं तुम्हारे लिए किसी नफ़ा अथवा नुकसान का मालिक नहीं ,मैं अल्लाह के सामने तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर सकता ,ऐ काब बीन  लोवई के खानदान वालों ! खुद को नर्क से बचा लो मैं तुम्हारे लिए किसी नफ़ा अथवा नुकसान का मालिक नहीं ,ऐ मुर्रा बिन काब के खानदान वालों !खुद को नर्क से बचा लो , क़ोसई के खानदान वालों !खुद को नर्क से बचा लो मैं तुम्हारे लिए किसी नफ़ा अथवा नुकसान का मालिक नहीं ,ऐ अब्दे शम्स के खानदान वालों ! खुद को नर्क से बचा लो ,ऐ अब्दे मोनाफ़ के खानदान वालों !खुद को नर्क से बचा लो मैं तुम्हारे लिए किसी नफ़ा अथवा नुकसान का मालिक नहीं, ऐ बनी हाशिम के लोगों !खुद को नर्क से बचा लो ,ऐ बनी अब्दुल मुत्तलिब के लोगों !खुद को नर्क से बचा लो मैं तुम्हारे लिए किसी नफ़ा अथवा नुकसान का मालिक नहीं ,मैं अल्लाह के सामने तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर सकता ,मुझ से मेरी दौलत में से जितनी चाहो मांग लो ,मैं अल्लाह के सामने तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर सकता,  अब्बास बीन अब्दुल मुत्तलिब ! मैं अल्लाह के सामने तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर सकता , सफ़िया बीनते अब्दुल मुत्तलिब  अल्लाह के रसूल की फूफी ! मैं अल्लाह के सामने तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर सकता ,  फ़ातिमा अल्लाह के रसूल मुहम्मद की बेटी !जो चाहो मुझ से मांग लो और स्वयं को जहन्नम की आग से बचा लो ,मैं अल्लाह के सामने तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर सकता .
हाँ ! मुझ से जो तुम्हारी रिश्तेदारी है उसे जितना हो सकेगा निभाऊंगा .  
इस के बाद सारे लोग खामोशी के साथ वापस हो गए सिवाए अबू लहब के जो आप का चचा था उसने कहा :तेरी बर्बादी हो क्या इसीलिए हमें इकट्ठा किया था ? उसकी इस बात पर अल्लाह तआला ने सुरह लहब नाजिल फ़रमाया जिसमें उसकी तबाही और बर्बादी का ज़िक्र है .



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