मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

आप की दावत(प्रचार)से लोगों को रोकने का प्रयास


सफ़ा पहाड़ी पर आप के अचानक प्रचार से लोग  हैरान रह गए और अबू लहब के अलावा कोई कुछ न बोल सका और कोई किसी राए का इज़हार न कर सका और सब लोग अपने घर को लौट गए ,फिर जब वह सोचने की इस्तिथि में आये तो इस दावत को हलके में लिया और इसका मज़ाक़ उड़ाने लगे.आप जब कभी किसी गिरोह या उनकी किसी सभा से गुज़रते तो आप का मज़ाक़ उड़ाने लगते और ना मुनासिब बात करते.
आपने  अपनी दावात को जारी रखते हुए उनकी मजलिसों में तथा एक एक कर उनको इस्लाम कि तरफ बुलाते रहे और क़ुरआन मजीद की तिलावत करते रहे और सब के सामने ख़ाना काबा में नमाज़ अदा करते रहे ,इस तरह धीरे धीरे एक एक करके लोग आपकी दावत क़बूल करने लगे ,जो लोग इस्लाम क़बूल करते उनके घर और ख़ानदान वाले  उनके  दुश्मन हो जाते और उन्हें तरह तरह से सताते .
जब हज का ज़माना करीब हुआ तो हाजियों को इस्लाम से रोकने के लिए उन लोगों ने  प्लानिंग शुरू कर दी अतः  वलीद बिन मोगीरा जो उनमें सब से बुज़ुर्ग और बड़ी आयु का था के पास एक सभा हुई  जिसमें उसने कहा कि :अरब के कोने कोने से लोग हज करने  रहे हैं और मुहम्मद  की  बात सारे लोगों तक पहुँच चुकी है इसलिए तुम लोग किसी एक बात पर इकट्ठे हो जाओ  ऐसा  हो कि तुम्हारी बातें भिन्न हों और एक दुसरे को झुटलाने लगो . लोगों ने कहा कि आप ही कोई    मुनासिब राय दीजिए ! उसने कहा नहीं तुम लोग कहो मैं सुनता हूँ ! लोगों ने कहा कि : हम उसे काहिन(पूर्वज्ञान की बातें बताने वाला) कहेंगे. उसने कहा :यह काहिन नहीं है हम ने काहिनों को देखा है इसकी बातें काहिनों की तरह नहीं होती . लोगों ने कहा हम उसे पागल कहेंगे. उसने कहा :वह पागल नहीं है ,हम ने पागलों को देखा है वह पागलों जैसी हरकतें नहीं करता .लोगों ने कहा :हम उसे शायर (कवि) कहेंगे . तो उसने कहा :वह शायर नहीं है ,हम  शायरी और उसकी हर कला के जानकार हैं अतः हमें ज्ञात है कि उसकी बातें शायरी नहीं होतीं . 
लोगों ने कहा कि हम उसे जादूगर कहेंगे.तो उसने कहा कि वह जादूगर नहीं है ,हम ने जादु और जादुगरों  को  देखा है वह ऐसा नहीं है . लोगों ने कहा कि तब हम क्या कहेंगे ?
उसने कहा :अल्लाह की क़सम ! मुहम्मद की बात में एक अजीब सी मिठास है ,उसका उदाहरण खजूर के पेड़ जैसा है जिसकी जड़ें ज़मीन में गहरी होती हैं और शाखें हरी भरी लहलहाते हुए तुम इन बातों में से कुछ भी कहोगे तो लोग तुरंत समझ जायेंगे कि यह झूट है ,लेकिन फिर भी सब से उचित बात यह है कि तुम उसे जादूगर ही कहो क्योंकि उसने एक ऐसी बात कही है जो जादू  की तरह  है जो भाई भाई ,बाप बेटे ,पति पत्नी में जुदाई करा देता है और आदमी को उसके ख़ानदान से अलग कर देता है . सारे लोग इस राय से सहमत हो गए और रास्तों में बैठ कर आप से लोगों को डराने लगे अतः लोग आप से मिलने के पश्चात ही आप के बारे में जान गए .
फिर जब हज का मौसम आया तो आप हाजियों के खेमों में और उनके घरों में गए और उनको इस्लाम का निमंत्रण दिया और उनसे कहा कि :"ऐ लोगो ! लाईलाह इल्लल्लाह कहो सफल हो जाओगे ".अबू लहब आप के पीछे पीछे जाता और आप को झुठलाता और आप को तकलीफें दिया करता , हज के इस मौसम में लोगों को आप के बारे में जानकारी हुई और पुरे अरब में आप की चर्चा होने लगी .





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