गुरुवार, 31 जनवरी 2013

मुशरेकीन का सुरह नज्म की तिलावत के समय मुसलमानों के साथ सजदा करना



मुसलमानों के हबशा की जानिब हिजरत करने के दो  महीने बाद नबूवत के पांचवे वर्ष रमजान के महीने में एक दिन अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम मस्जिदे हराम  की तरफ निकलेउस समय काबा के इर्द गिर्द कुरैश के बड़े बड़े लोग और उनके सरदार बैठे हुए थेआप ने जा कर उनके पास अचानक सुरह नज्म की तिलावत शुरू कर दीकुरैश के लोग इस से पहले ऐसा रोबदार और दिलों पर असर करने वाला कलाम नहीं सूना था ,इस कलाम का इन पर ऐसा दहशत छाया कि मबहूत होकर खामोशी के साथ सुनते रहे और जब आप इस सुरह के आखरी भाग की तिलावत करके सजदे में गए वोह लोग भी अपने ऊपर काबू न रख सके और मुसलमानों के साथ सजदे में चले गए.

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