कुरैश ने जब मुसलमानों पर ज़ुल्म की हद कर दी और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम उनका
बचाव करने से माज़ूर थे उस वक़्त आप ने
अपने साथीओं को हबशा(इथोपिया) की तरफ हिजरत (पलायन) करने की अनुमति दे दी,आप को मालूम था की
वहाँ का राजा सहमा नजाशी एक इन्साफ पसंद राजा है जिस के पास किसी के ऊपर अन्याय
नहीं होता .
नबूवत के पांचवें साल में रजब के महीने में यह
लोग हबशा के लिए रवाना हुए जिन में बारह मर्द और चार औरतें थीं जिन में आप सल्लल्लाहो
अलैहे वसल्लम की बेटी रोकैय्या और उनके
पति उस्मान रजी अल्लाहो अन्होमा भी थे। उनको रुखसत करते समय आप ने कहा था
:"अल्लाह उनका साथी हो ,बेशक लूत अलैहिस्सलाम के बाद यह पहले आदमी हैं
जिन्होंने अपनी बीवी के साथ अल्लाह के रास्ते में हिजरत की है ".
यह लोग रात के अँधेरे
में छुप कर मक्का से निकले ताकि कुरैशियों को उनके सफ़र का ज्ञात न हो सके , यह लोग शोऐबा
के बंदरगाह पर पहुंचे और हबशा जाने वाली दो तेजारती कश्तियों (नावों) पर
सवार हो गए ,कुरैश के काफिरों को उनकी हिजरत के बारे में उस समय मालूम हुआ जब इनकी कश्तियाँ साहिल छोड़ कर हबशा की
तरफ रवाना हो चुकी थीं .
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