सोमवार, 28 जनवरी 2013

दारे अरक़म के अंदर



इस्लामी प्रचार के उपरान्त मुसलामानों पर आई मुसीबतों एवं परेशानियों को देखते हुए अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने मुसलामानों की हिफाज़त के लिए  चंद  क़दम उठाए जिनमें दारे अरक़म  को तालीम का मरकज़ बनाना और मुसलमानों को मुल्के हबशा की तरफ हिजरत करने की इजाज़त देना है .
अरक़म  बिन अबुल अरक़म  को आपने मुसलामानों की शिक्षा और  उनके मार्गदर्शन के लिए चुना जहां आप उनकी तरबियत का एहतेमाम करते ,उनको कुरआन की तालीम देते और दीन  की बातें सिखाते इस तदबीर से आप के साथी उन बहुत सारी रेशानियों से बच  गए जो उन पर खुले आम इस्लामी कार्य करने पर होतीं ,अलबत्ता खुद आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने दावते दीन का काम एलानिया तथा खुले आम  जारी रखा  वजह साफ़ थी कि  इस्लामी दावत हर एक को पहुँच जाए ताकि क़यामत के दिन कोई यह न कह सके कि उसके पास कोई बताने या डराने वाला नहीं आया .

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