शनिवार, 7 अगस्त 2010

खदीजा रज़ियल्लाहो अन्हा से आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का विवाह

खदीजा रज़ियल्लाहो अन्हा एक उत्तम वंश वाली,अती सुंदर तथा धनवान स्त्री थीं ,जाहिलियत के युग( इस्लाम धर्म से पहले के समय ) में उन्हें ताहेरा के नाम से पुकारा जाता था जिस का मतलब है स्वक्ष् तथा पवित्रता वाली. इस से पूर्व इनकी दो शादियाँ हो चुकी थीं पहली शादी आयेज़् के पुत्र अतीक़ से, जिन से उनको एक पुत्री हुई थी इनके देहांत के बाद अबूहाला तमिमी से जिन से उनको हिंद बिन हिंद पैदा हुए जो सहाबी बन कर बदर की लड़ाई में शामिल हुए एवम् उनसे ज़ैनब नाम की एक लड़की भी पैदा हुई थी तथा हाला की आप ने परवरिश की
अबू हाला की मृत्यु के उपरांत बहुत से बड़े तथा धनवान लोगों ने उनको विवाह का आमांतरण दिया लेकिन उन्होंने सब को अच्छे तरीक़े से टाल दिया
खदीजा ने आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की अमानत एवं सच्चाई को देखा तथा मयसरा ने सफ़र के दौरान आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के शिष्टाचार तथा मोजज़ा ( अपसामान्य आदतों ) का वर्णन किया तो उन से काफ़ी पर्भावित हुईं तथा उनके दिल में आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से विवाह करने की इक्षा पैदा हुई अतः उन्होंने अपने दिल की बात अपनी सहेली मुनिया की बेटी नफीसा से कही जो आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के पास गयीं तथा खदीजा से शादी करने की बात की आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने उसे अतिशीघ्र क़बूल कर लिया तथा अपने चाचाओं से इस संबंध में बात की तो अबू तालिब तथा हमज़ा आदि खदीजा के चाचा असद के पुत्र अम्र से मिले और उनको अपने भतीजे के लिए विवाह का आमंत्रण दिया जिसे उन्हों ने स्वीकार कर लिया आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के चाचा अबू तालिब ने आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का निकाह बनू हाशिम तथा क़ुरैश के बड़े लोगों की उपस्तिथी में बीस उंटनी मोहर के बदले में कर दिया
यह विवाह आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के शाम से वापसी के दो महीने उपरांत हुई थी उस समय आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की आयु पच्चीस वर्ष थी तथा खदीजा की आयु चालीस वर्ष की थी
खदीजा जब तक जीवित रहीं आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने कोई दोसरी शादी नहीं की अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की इब्राहीम के सेवा सारी औलाद इन्हीं से पैदा हुई इब्राहीम मारिया क़िबतिया से थे

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