रविवार, 26 जनवरी 2014

ऊमर रज़ी अल्लाहो अन्हो का ईस्लाम लाना


हमज़ा  रज़ीअल्लाहो अन्हो  के  ईस्लाम  लाने के तीन  दिनों के बाद उमर  रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने भी ईस्लाम  क़बूल  कर लिया . इनके इस्लाम लाने से पहले ही अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो  अलैहे वसल्लम ने अल्लाह से दुआ की थी कि :" ऐ  अलाह ! अबू जहल या खत्ताब के बेटे ऊमर में से जो भी तेरे नज़दीक ज़्यादा प्रिय हो उसके ज़रिये ईस्लाम को शक्ति दे " अतः अल्लाह तआला  ने ऊमर रज़ीअल्लाहो अन्हो के हक़ में आप की प्रार्थना को कबूल कर लिया और सुबह के समय ऊमर रज़ीअल्लाहो अन्हो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो  अलैहे वसल्लम के पास आकर मुसलमान हो गए.इनके इस्लाम लाने की कहानी निम्न है:
काफिरों की तमाम कोशिसों के बावजुद इस्लाम दिनो दिन बढ़ता चला जा रहा था और मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के सहाबा की तादाद बढ़ती चली जा रही थी इसके साथ ही इस्लाम से मुखालफत भी ज़ोर पकड़ती जा रही थी क्यूंकि अरब के बड़े बड़े क़बीलों में और आस पास की  हुकूमतों में भी इस्लाम की चर्चा होने लगी थी . उमर रज़िअल्लाहो अन्हो उन लोगों में से थे जो मुसलमान होने से पहले इस्लाम से और इस्लाम लाने वालों से बहुत ज़्यादा नफ़रत करते थे और मुसलमानों को बहुत ज़यादा तकलीफें  दिया करते थे। एक दिन जब अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम काबा के पास नमाज़ पढ़ रहे थे चुपके से क़ुरआन मजीद कि कुछ आयतें सुन लीं इनके दिल में आया कि यह सत्य है लेकिन फिर भी अपने हठ  पर क़ायम  रहे।
एक दिन तलवार लेकर अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को क़त्ल करने निकले रास्ते में एक आदमी मिला इनका तेवर देख कर पूछा उमर कहाँ का इरादा है ?  उन्हों ने कहा मुहम्मद(सल्लल्लाहो  अलैहे वसल्लम) को क़त्ल करने जा रहा हूँ।  उस आदमी ने कहा : अगर मुहम्मद(सल्लल्लाहो  अलैहे वसल्लम) को क़त्ल किया तो क्या बनू हाशिम और बनू ज़ोहरा वाले तुम्हे छोड़ देंगे ? उमर ने कहा :लगता है तू भी अधर्म हो गया है। उसने कहा : मैं तुम्हे एक अजीब बात न बताऊँ ? तूम्हारी बहन और बहनोई दोनों मुसलमान हो चुके हैं। यह सुनते ही उमर गुस्से में अपनी बहन के घर चल दिए , जिनके पास खब्बाब बिन अरत रज़िअल्लाहो अन्हो थे और उन्हें क़ुरआन  मजीद पढ़ा रहे थे ,जब इनको उमर कि आहट हुई तो खब्बाब रज़िअल्लाहो अन्हो  छुप गए और इनकी बहन ने क़ुरआन मजीद कि आयतें छुपा लिया। उमर  ने अंदर आकर इन से पूछा :तुम लोग क्या पढ़ रहे थे ? उन्हों ने कहा: कुछ नहीं हम तो आपस में बातें कर रहे थे। उमर  ने कहा : शायद तुम लोग मुसलमान हो चुके हो ? इनके बहनोई ने कहा : उमर अगर सत्य तुम्हारे धर्म के अलावा में हो तो तुम्हारा क्या ख्याल है ? यह सुनते ही ऊमर उन पर पिल पड़े  और मारने लगे, बहुत मारा जब इनकी बहन बचाने आयी तो उनको भी धक्का दे दिया जिस से उनको  चोट लगी और चेहरे से खून बहने लगा , और उन्हों ने गुस्से में आकर कहा :ऎ उमर हाँ हम मुस्लम हो चुके हैं "हम गवाही देते हैं कि अल्लाह के सिवा कोई सच्ची पूजा के लाएक़ नहीं है ,और गवाही देते हैं के मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं " तुम से जो बनता है कर लो। यह सुनते ही उमर का दिल पिघल गया और अपने किये पर शर्मिंदा हुए और कहा कि जो तुम लोग पढ़ रहे थे उसे मुझे भी दिखाओ, तो उनकी बहन ने कहा कि तुम अपवित्र हो और इसे केवल पवित्र लोग हो छू सकते हैं , इसलिए तुम जाओ और स्नान करके आओ तब छूना ,उमर गुस्ल करके आये और क़ुरान मजीद की सुरह ताहा की कुछ आयतों कि तिलावत की  और कहा कि यह कितनी अच्छी बातें हैं और कितना अच्छा कलाम है ,मुझे मुहम्मद का पता दो मैं मुसलमान होना चाहता हूँ। उसी समय खब्बाब निकले और कहा कि ऐ ऊमर  तुम्हारे लिए बशारत है मैं समझता हूँ कि जुमरात की रात में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने  जो दुआ किया था वो तुम्हारे हक़ में क़बूल हुई है कि ऐ अल्लाह तुम्हारे नज़दीक दो आदमियों में से जो ज़यादा प्यारा हो उस से इस्लाम को मज़बूती अता फरमा।
फिर उन्हें बताया कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम अपने साथियों के साथ सफा पहाड़ी के क़रीब  दारे  अरक़म में हैं।  उमर दारे  अरक़म आये और दरवाज़ा खटखटाया लोगों ने झाँक कर देखा तो इन्हें तलवार सौतें हुए देखा उस वक़्त हम्ज़ा रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने कहा आने दो अगर अच्छी नियत से आया है तो ठीक है वर्ना उसी की  तलवार से उ\से उसकी गर्दन मार देंगे ,दरवाज़ा खोला गया और उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो अंदर दाखिल हुए तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो  अलैहे वसल्लम  ने उनको पकड़ कर झंझोड़ा और कहा उमर जब तक अल्लाह वलीद बिन मोघीरा जैसा तुम्हारा हाल न कर दे तुम बाज़ नहीं आओगे। ऐ अल्लाह यह ऊमर बिन खत्ताब  है इसके ज़रीये इस्लाम को मज़बूत कर। उसी समय ऊमर  ने कलमा पढ़ा कि " मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई सच्ची पूजा के लाएक़ नहीं और यह गवाही देता हूँ कि आप अल्लाह के रसूल हैं" यह सुनते ही सारे लोगों ने अल्लाहु अकबर का नारा इतनी ज़ोर से लगाया जिसे मस्जिदे हराम में मौजूद लोगों ने भी सुना।
ऊमर  रज़ीअल्लाहो अन्हो  के इस्लाम लाने से एक तरफ काफिरों को जहां बहुत बड़ा आघात पहुंचा वहीँ मुसलमानों के अंदर ताक़त आ गई क्यूंकि ऊमर  रज़ीअल्लाहो अन्हो  अपनी क़ौम के काफी मज़बूत और साहबे इज्ज़त आदमी थे इस से पहले मुसलमान छुप छुपा कर नमाज़ पढ़ा करते थे लेकिन जब ऊमर रज़ीअल्लाहो अन्हो इस्लाम लाये तो खुल्लम खुल्ला नमाज़ें अदा करने लगे।

       

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