शनिवार, 2 मार्च 2013

हमज़ा रज़ी अल्लाहो अंहो का इस्लाम लाना



एक रोज़ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम सफा पहाड़ी के समीप बैठे हुए थे उसी समय वहाँ से अबू जहल का गुज़र हुआ वह आप के सामने आकर आप को अपशब्द कहने लगा और आप को बहुत ज़यादा गालियाँ दी ,आप ने सब्र और शान्ति के साथ सब कुछ सूना और बर्दाश्त कर गए, उस वक़्त अब्दुल्लाह बिन जुदआन की एक आज़ाद की हुई लौंडी जो सफा पहाड़ी पर एक घर में रहती थी  यह सारा माजरा देख  और सुन रही थी ,अबुजहल आप के साथ बदजुबानी करने के बाद काबा के समीप आकर कुरैशियों की महफ़िल में बैठ गया , कुछ ही देर के बाद वहां से हमज़ा रज़ी अल्लाहो अंहो का गुज़र हुआ जो अपना तीर कमान गर्दन में लटकाए  हुए शिकार से लौट रहे थे जब उनका गुज़र लौंडी के पास से हुआ तो उसने कहा : ऐ अबू ओमारा ! काश आपने अपने भतीजे के साथ अबुजहल की बद्सोलुकी देखि होती जिसने उनको बहुत ज्यादा गाली दी और उनके साथ  बद्सोलूकी  की , लेकिन मुहम्मद ने कोई बात नहीं की , यह सुन कर हमज़ा  गज़बनाक हो गए और महफ़िल में जा कर अबू जहल के सर पर कमान से जोर से मारा जिससे उसका सर ज़ख़्मी हो गया और उस से कहा :तुम मेरे भतीजे को गाली देते हो जबकि मैं ने उसका धर्म कबूल कर लिया है , मैं  वही कहता हूँ जो वह कहता है ,अगर तुम्हारे अन्दर हिम्मत है तो मरी तरफ हाथ बढ़ा कर देखो .
बनू मख्जूम के कुछ लोग अबू जहल की मदद के लिए उठे लेकिन अबुजहल ने उनको रोका और कहा कि  जाने दो मैंने इसके भतीजे सही में बहुत ज्यादा गालियाँ दी हैं .


1 टिप्पणी:

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