कुरैश वालों से जो सुस्ती और नादानी हुई थी
जिस की वजह से वोह मुसलमानों के साथ सजदे में चले गए थे और मुसलमान उन से बच कर हबशा चले गए थे
और वहाँ पर वोह हंसी ख़ुशी तथा आज़ादी के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे, उस से उनका ग़ुस्सा सातवें आसमान पर था, इसलिए इन लोगों ने मुसलमानों को और
ज़्यादा सख्ती के साथ सताना और उन्हें तकलीफें देना आरंभ कर दिया ,इन हालात को देखते हुए अल्लाह के रसूल
सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने मुसलमानों को दोबारा हबशा की तरफ
हिजरत करने की इजाज़त देदी,अतः18 औरतें तथा 82 या 83 मर्द हिजरत के लिए निकले ,और यह सब लोग काफिरों से बचते हुए हबशा पहुँच
गए .
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