गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

कुरैश के लोग नजाशी को मोहाजिरों के खिलाफ उभारते हैं



जब कुरैश ने देखा कि  मुसलमान उन से बच कर चले गए और हबशा में जा कर अमन और इत्मीनान के साथ रह रहे हैं तो इन्होंने नजाशी को उनके खिलाफ भड़काने का प्रयास  किया और अपने दो आदमी अम्र बिन आस और अब्दुल्लाह बिन रबिआ को जो उस समय तक ईमान नहीं लाये थे बहुत सारा उपहार देकर हबशा भेजा और उनको नजाशी को रिझाने के सारे गुर बताये ,अतः यह लोग एक सोची समझी प्लानिंग के साथ हबशा गए और वहाँ पहुँच कर प्रथम एक एक दरबारी को उपहार दिया फिर उनके बाद नजाशी के दरबार में गए और उसको भी मूल्यवान उपहार दिया और कहा: माननीय राजा ! हमारे कुछ बेवकूफ और नादान नौजवान आप के देश में पनाह लिए हुए हैं जिन्होंने अपने पूर्वजों के धर्म को छोड़ कर एक नया धर्म ईजाद  कर लिया है ,और इनलोगों ने आप के धर्म को भी  नहीं अपनाया है। हमको इनके बाप,दादा और चाचाओं ने भेजा है ताकि आप इन्हें अपने मुल्क में न रहने दें और हमारे साथ इनको वापस भेज दें. इतना सुन कर नजाशी गुस्सा हो गया और कहा कि : अल्लाह की सौगंध मैं इन्हें हरगिज़ वापस नहीं करूंगा जब तक इनकी बातें न सुन लूँ क्योंकि इन्होंने हमारे यहाँ पनाह ली है और दूसरों के मुकाबले में हमारे यहाँ रहने को तरजीह दी है,अगर तुम्हारा कहना सच हुआ तो हम उनको तुम्हारे हवाले कर देंगे वरना उन्हें यहीं हिफाज़त के साथ रहने दूंगा .

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