मंगलवार, 4 मई 2010

आप के पिता अब्दुल्लाह

आप के पिता अब्दुल्लाह अतिसुंदर तथा पवित्र चरित्र के मनुष्य थे इनको " ज़बीहुल्लाह " अर्थात " जिसे इश्वर के लीए बलि दिया गया हो " भी कहा जाता है "
हुआ यूँ कि इनके पिता अब्दुल मुत्तलिब ने ज़मज़म का कुँआ खोदा और जब कुआँ दिखने लगा तो क़ुरेश से उन का झगड़ा हो गया उस समय उन्होंने यह नज़र मानी कि अगर अल्लाह ने उन्हें दस बेटे दिए तो उन में से एक को अल्लाह के लिए काबा के समीप ज़बह कर देंगे तो जब उनके दस लड़के हो गये तो उन्होंने उनके नाम की पर्ची निकाली पर्ची अब्दुल्लाह के नाम निकली अब्दुल मुत्तलिब उनको लेकर काबा के पास पहुँचे ताकि उनकी बलि दे तो उनके परिवार के लोगों ने एवम् विशेष रूप से उनके ननिहाल वालों ने उनको मना किया तो अब्दुल मुत्तलिब ने उनके फिदिया ( बदले ) में एक सौ उंटों को ज़बह किया पहले उन्हों ने दस उंटों को रख कर पर्ची निकाली पर्ची फिर अब्दुल्लाह के नाम निकली वो बराबर उंटों की संख्या बढ़ाते गये यहाँ तक क़ि उंटों क़ि संख्या एक सौ हो गयी तो पर्ची उंटों के नाम निकली इस तरह अब्दुल मुत्तलिब ने उनके बदले में एक सौ उंटों को ज़बह किया इसी लिए मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्ल्म को " इबनुज़्ज़बीहतैन " अर्थात " दो ज़बह किए गये महापुरुषो के पुत्र" कहा जाता है
अब्दुल मुत्तलिब ने अपने पुत्र अब्दुल्लाह का विवाह बनू ज़ोहरा के मुखिया एवम् सरदार वहब पुत्र अब्दे मोनाफ की पुत्री आमना से कर दिया जो की आदर एवम् संस्कार में क़ुरेश की महिलाओं में सर्वोत्तम थीं शादी के कुछ समय उपरांत अब्दुल मुत्तलिब ने उनको व्यापार के लिए मूलके शाम भेजा वापसी में मदिना में उनका देहांत हो गया और एक क़ौल " कथनी" के अनुसार उनको मदीना ख़ज़ूर लाने के लिए भेजा था जहाँ उनका देहांत हो गया, तथा वहीं पर उनको दफ़न कर दिया गया

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें