बुधवार, 28 सितंबर 2011

ईस्लाम का आमंत्रण

जैसा कि पहले बताया गया कि पूरी अरब समुदाए इश्वरीए सिद्धांतों से भटकी हुई थी एक अल्लाह को छोड़ कर अनगिनत देवी देवताओं तथा मनुष्यों एवं मूर्तियों की पूजा की  जाती थी उनकी दलील केवल यह थी कि उनके पूर्वज यही करते आये हैं इसलिए हम भी यही करने को बाध्य हैं ! अन्याय अनैतिकता तथा क़त्ल उन में आम बात  थी. उनका आचार उनकी स्वयं कि प्राथमिकताएं थीं अपनी मुश्किलों के हल के लिए केवल तलवार ही उनकी प्राथमिकता थी , ऐसे माहौल में जब आप ने सत्य एवं स्वक्छ धर्म का प्रचार आरम्भ किया तो आल्लाह ने आप को आज्ञा दिया कि प्रारम्भ में गुप्त रूप से ईस्लाम का प्रचार करें और केवल उन्हीं लोगों को आमंत्रित करें जो आप के समीप भलाई तथा सत्यता से प्रेम करने वाला हो एवं आप को उन पर भरोसा हो अतः दुसरे लोगों से पहले अपने परिवार वालों में प्रचार करें

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