शनिवार, 24 सितंबर 2011

नबूवत मिलती है


बचपन ही से आप अपनी कौम अथवा समुदाए में होने वाली समस्त बुराइयों से चिन्तामए थे तथा उन से दूर रहने का प्रयास करते रहते थे ! आयु बढ़ने के साथ साथ ही आप की यह चिंता गहराती गई तथा आप निवृत्ति एवं तन्हाई को पसंद करने लगे तथा लोगों से दूर रहने लगे और मक्का से लगभग दो मील की दूरी पर   हिरा नामी पहाड़ (जिसे आज कल जबले नूर कहा जाता है)के एक ग़ार में चले जाते और कई कई दिनों तक इब्राहीम अलैहिस्सलाम के धर्म के अनुसार  अल्लाह की ईबादतमें लीन रहते,और जब भोजन पानी समाप्त हो जाता तो फिर अपनी पत्नी खदीजा  के पास आते एवं खाना पानी ले कर दुबारा उसी ग़ार में चले जाते , नबूवत मिलने से चाँद वर्षों पश्चात तो आप  रमजान के महीने में मक्का को छोड़ ही देते एवं समस्त महीना उसी ग़ार में व्यतीत करते
फिर जब आप की आयु पुरे चालीस वर्ष की हो गई तो नबूवत की निशानियाँ ज़ाहिर होने लगीं , आप अच्छे सपने देखते और वैसा ही होता जैसा आप देखते , आप प्रकाश देखते एवं ध्वनि सुनते आप नबूवत मिलने के बाद कहते थे :मैं मक्का में उस  पत्थर को पहचानता हूँ जो मुझे नबूवत मिलने के पश्चात सलाम किया करता था . 

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